Sunday, 13 April 2014

जब जब मन कान्हा ध्यान धरे...


जब जब मन कान्हा ध्यान धरे...

कान्हा का तन
कान्हा का मन
चिन्ता सब
चितचोर हरे

मुरली की धुन
श्ववण मधुर सुन
चन्चल अँखियाँ
मृग स्वर्ण हरे

अर्पण तुमको
गोविन्द कमल मुख
यह जन्म पृभु
कृष्णम् सुमिरे



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