कृष्णा---एक पुकार
वो मुझमें समा जाये
मैं उसमें समां जाऊँ।
जग जगने से पहले
बंसी कोई सुन पाऊँ।
राधा हो संग मेरे
या कृष्ण ही बन जाऊँ।
मधुबन में मधु बन मैं
महारास बन जाऊँ।
या श्याम ही मिल जाये
या याद चली जाये।
पनघट के तीरों पे
नटनागर छवि अाए।
आँसू से गीले स्वर
कहीं कंठ ना रूंध जाये।
आँखें मुँदने से पहले
गोविंद गले लग जाये।
वो मुझमें समा जाये
मैं उसमें समां जाऊँ।
जग जगने से पहले
बंसी कोई सुन पाऊँ।
राधा हो संग मेरे
या कृष्ण ही बन जाऊँ।
मधुबन में मधु बन मैं
महारास बन जाऊँ।
या श्याम ही मिल जाये
या याद चली जाये।
पनघट के तीरों पे
नटनागर छवि अाए।
आँसू से गीले स्वर
कहीं कंठ ना रूंध जाये।
आँखें मुँदने से पहले
गोविंद गले लग जाये।
वो मुझमें समा जाये
मैं उसमें समां जाऊँ।
जग जगने से पहले
बंसी कोई सुन पाऊँ।
राधा हो संग मेरे
या कृष्ण ही बन जाऊँ।
मधुबन में मधु बन मैं
महारास बन जाऊँ।
या श्याम ही मिल जाये
या याद चली जाये।
पनघट के तीरों पे
नटनागर छवि अाए।
आँसू से गीले स्वर
कहीं कंठ ना रूंध जाये।
आँखें मुँदने से पहले
गोविंद गले लग जाये।
वो मुझमें समा जाये
मैं उसमें समां जाऊँ।
जग जगने से पहले
बंसी कोई सुन पाऊँ।
राधा हो संग मेरे
या कृष्ण ही बन जाऊँ।
मधुबन में मधु बन मैं
महारास बन जाऊँ।
या श्याम ही मिल जाये
या याद चली जाये।
पनघट के तीरों पे
नटनागर छवि अाए।
आँसू से गीले स्वर
कहीं कंठ ना रूंध जाये।
आँखें मुँदने से पहले
गोविंद गले लग जाये।
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